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- दीनानाथ मोहि काहे बिसारे । हमरिहि बार मौन कस धारे ।
- आजु दोउ, झूलन महँ झगरे ।
- उठे हरि, नैनन नींद भरे ।
- गहो रे मन ! श्याम चरण शरणाई ।
- अरे मन ! अवसर बीत्यो जात ।
- अपनापन रखना मेरे घनश्याम ।
- जयति जय, जय सद्गुरु महाराज ।
- धरु नन्दनन्दन को ध्यान रे ।
- वृषभानु लली गुन गाइये ।
- कब मिलिहौ नंद कुमार,तुम मातु पिताभरतार ।