जय राम जोगी!’ जयराम माय!’
जोगी शिव अरु मातु यशोमति, रहे दोउ बतराय।
ओ जोगी! निज भेष भयानक, कारन कौन बनाय?
सुनु मैया! तुम्हरे लाला के, कारन स्वाँग रचाय।
ओ जोगी! द्वै दिन के लालहिं,
काहे दोष लगाय।
सुनु मैया! यह लाल सनातन, ब्रह्म निगम अस गाय।
ओ जोगी! क्यों बात बनावत, मो ते जो तेहि जाय।
सुनु मैया! यह लाल अजन्मा, लै अवतार सिधाय।
ओ जोगी! मम केश श्वेत भये, काहे मोहिं पढ़ाय।
सुनु मैया! यह दास आदि जग, तव सुत-सुत-सुत आय।
ओ जोगी! लै भीख जाहु घर, तोहिं उनमाद जनाय।
सुनु मैया! मोहिं भीख इहै चह, दे मोहिं लाल दिखाय।
ओ जोगी! क्यों बैर परो मम, लखि तोहिं लाल डराय।
सुनु मैया! तू भोरी याके, डर ते डर डरपाय।
ओ जोगी! भल शाप देहु मोहिं, पै न लाल लखि पाय।
सुनु मैया! तोरी जो इच्छा, कहि लौटे खिसियाय।
शम्भु दरस हित बैठि यमुन तट, दृग-अँसुवन झरि लाय।
उत कहि ‘कहाँ, कहाँ’ जनु लालहुँ,
नैनन नीर बहाय।
सखिन कह्यो कछु कै गयो जोगी, आईं यशुमति धाय।
ओ जोगी! हौं पाँय परौं चलु, लाला तोहिं बुलाय।
चलु मैया! ‘कृपालु’ कहि जोगी, मिलत हँस्यो बलभाय॥
In this self composed keertan Jagadguru Shree Maharajji explains a beautiful Leela of Lord Shiva coming to Gokul to get a
glimpse of baby Krishna. Mother Yashoda
is petrified by His looks and thus, refuses to grant Him the audience. Disappointed, Lord Shiva returns, but Shree
Krishna is not happy with it. What does
He do to fulfill His devotee's wish ? Watch this video.
Wonderful composition by
ReplyDeleteJagadguru Kripaluji Maharaj and narration of bastshlya bhao is so touching.Jagadguru Kripaluji Maharaj ki jai!